रविवार, 29 मई 2016

Real story padhne ke baad apko bhi Garv hoga pm modi jaisa sayad hi koi pm bana hoga 1990 की घटना

थोडा समय निकालकर अवश्य पढ़े... 1990 की घटना..

आसाम से दो सहेलियाँ रेल्वे
में भर्ती हेतु गुजरात रवाना हुवे. रस्ते में एक स्टेशन पर गाडी बदल कर आगे का सफ़र उन्हें तय करना था।

जिस प्रकार से ठहराया उसी प्रकार से सफ़र शुरू हुआ लेकिन पहली गाड़ी में कुछ लड़को ने उनसे छेड़-छाड़ की इस वजह से अगली गाड़ी में तो कम से कम सफ़र सुखद हो यह आशा मन में रखकर भगवान से प्रार्थना करते हुए दोनों सहेलियाँ स्टेशन पर उतार गयी और भागते हुए रिझरवेशन चार्ट तक वे पहुची और चार्ट देखने लगी.
चार्ट देख दोनों परेशान और भयभीत हो गयी क्यों की उनका रिजर्वेशन कन्फर्म नहीं हो पाया.

मायूस और न चाहते उन्होंने नज़दीक खड़े TC से गाड़ी में जगह देने के लिए विनती की
 TC ने भी गाड़ी आने पर कोशिश करने का आश्वासन दिया....

एक दूसरे को शाश्वती देते दोनों गाड़ी का इंतज़ार करने लगी।

आख़िरकार गाड़ी आ ही गयी और दोनों जैसे तैसे कर गाड़ी में एक जगह बैठ गए...
अब सामने देखा तो क्या!
सामने दो नौजवान युवक बैठे थे.

पिछले सफ़र में हुई बदसलूकी कैसे भूल जाती लेकिन अब वहा बैठने के अलावा कोई चारा भी नहीं था क्यों की उस डिब्बे में कोई और जगह ख़ाली भी नहीं थी।

गाडी निकल चुकी थी और दोनों की निगाहें  TC को ढूंढ रही थी शायद कोई दूसरी जगह मिल जाये......
कुछ समय बाद  गर्दी को काटते हुए TC वहा पहुँच गया और कहने लगा कही जगह नहीं और इस सिट का भी रिजर्वेशन अगले स्टेशन से हो चूका है कृपया आप अगले स्टेशन पर दूसरी जगह देख लीजिये.यह सुनते ही दोनों के पैरो तले जैसे जमीन ही खिसक गयी क्यों की रात का सफ़र जो था.

गाड़ी तेज़ी से आगे बढ़ने लगी। जैस जैसे अगला स्टेशन पास आने लगा दोनों परेशान होने लगी लेकिन सामने बैठे नौजवान युवक उनके परेशानी के साथ भय की अवस्था बड़े बारीकी से देख रहे थे जैसे अगला स्टेशन आया दोनो नौजवान उठ खड़े हो गए और चल दिये....
अब दोनों लड़कियो ने उनकी जगह पकड़ ली और गाड़ी निकल पड़ी कुछ क्षणों बाद वो नौजवान वापस आये और कुछ कहे बिना नीचे सो गए।

दोनों सहेलियाँ यह देख अचम्भित हो गयी और डर भी रही थी जिस प्रकार सुबह के सफ़र में हुआ उसे याद कर खुद की समेटे सहमते सो गयी....

सुबह चाय वाले की आवाज़ सुन नींद खुली दोनों ने उन नौजवानों को धन्यवाद कहा तो उन मे से एक नौजवान ने कहा "बेहेनजी गुजरात में कुछ मदत लगी तो जरुर बताना" ...

अब दोनों सहेलियों का उनके बारे में मत बदल चूका था खुद को बिना रोके एक लड़की ने अपनी बुक निकाली और उनसे अपना नाम और संपर्क लिखने को कहा... दोनों ने अपना नाम और पता बुक में लिखा और "हमारा स्टेशन आ गया है" ऐसा कह उतर गए और गर्दी में कही गुम हो गए !

दोनों सहेलियों ने उस बुक में लिखे नाम पढ़े वो नाम थे नरेंद्र मोदी और शंकरसिंग
वाघेला...

यह अनुभव आया वह लेखिका फ़िलहाल General Manager of the centre for railway
information system Indian railway, New Delhi में कार्यरत है और यह लेख The Hindu इस अंग्रेजी पेपर में पेज नं 1 पर "A train journey and two names to remember "इस  नाम से दिनांक 1 जुन 2014
को प्रकाशित हुआ है... !

तो क्या आप अब भी सोचते है की हमने गलत प्रदानमंत्री चुना है?
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