मंगलवार, 12 सितंबर 2017

कांग्रेस की हिन्दू विरोधी मानसिकता

अस्सी के दशक में भारत में पहली बार #रामयण जैसे हिन्दू धार्मिक सीरियलों का दूरदर्शन पर प्रसारण शुरू हुवा ...और नब्बे के दशक आते आते #महाभारत ने ब्लैक एंड वाईट टेलीविजन पर अपनी पकड मजबूत कर ली .

इसे भी पढ़े ; महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच हल्दीघाटी में हुए युद्ध के बाद अकबर मानसिक से रूप से बहुत विचलित हो गया था। अपने हरम में जब वह सोता था तब रात में नींद में कांपने लगता था। अकबर की हालात देख उसकी पत्नियां भी घबरा

जब रविवार को DD1 पर रामायण शुरू होता था ..तो देश की गलियां सुनी हो जाती थी .
अपने आराध्य को टीवी पर देखने की ऐसी दीवानगी थी की .....
रामायण सीरियल में राम बने अरुण गोविल अगर सामने आ जाते तो लोगों में उनके पैर छूने की होड़ लग जाती .इन दोनों धार्मिक सीरियलों ने नब्बे के दशक में हुवे राम जन्मभूमि आन्दोलन के पक्ष में माहौल बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई थी ..पर धर्म को अफीम समझने वाले कम्युनिस्टों से ये ना देखा गया ...

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.नब्बे के दशक में कम्युनिस्टों ने इस बात की शिकायत राष्ट्रपति से की,की एक धर्मनिरपेक्ष देश में एक समुदाय के प्प्रभुत्व को बढ़ावा देने वाली चीज़े दूरदर्शन जैसे राष्ट्रीय चैनलों पर कैसे आ सकती है ???इससे हिन्दुत्ववादी माहौल बनता है ..जो की धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा है ..

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इसी वजह से सरकार को उन दिनों “अकबर दी ग्रेट ”. टीपू सुलतान,अलिफ़ लैला .और ईसाईयों के लिए “दयासागर “जैसे धारावाहिकों की शुरुवात भी दूरदर्शन पर करनी पड़ी .
सत्तर के अन्तिम दशक में जब मोरार जी देसाई की सरकार थी और लालकृष्ण अडवानी सुचना और प्रसारण मंत्री थे ... तब हर साल एक केबिनट मिनिस्ट्री की मीटिंग होती थी जिसमे विपक्षी दल भी आते थे ...
मीटिंग की शुरुवात में ही एक वरिष्ठ कांग्रेसी जन उठे और अपनी बात रखते हुवे कहा की,.की ये रोज़ सुबह साढ़े छ बजे जो रेडिओ पर जो भक्ति संगीत बजता है . वो देश की धर्म निरपेक्षता के लिए खतरा है,इसे बंद किया जाए .. बड़ा जटिल प्रश्न था उनका . उसके कुछ सालों बाद बनारस हिन्दू युनिवेर्सिटी के नाम से हिन्दू शब्द हटाने की मांग भी उठी ..स्कूलों में रामयण और हिन्दू प्रतीकों और परम्पराओं को नष्ट करने के लिए .... सरस्वती वंदना कोंग्रेस शाशन में ही बंद कर दी गई ...
महाराणा प्रताप की जगह अकबर का इतिहास पढ़ाना ..ये कांग्रेस सरकार की ही दें थी .... केन्द्रीय विद्यालय(kv ) का लोगो ) दीपक से बदल कर चाँद तारा रखने का शुझाव कांग्रेस का ही था ..

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भारतीय लोकतंत्र में हर वो परम्परा या प्रतीक जो हिंदुवो के प्रभुत्व को बढ़ावा देता है को सेकुलरवादियों के अनुसार धर्म निरपेक्षता के लिए खतरा है ... किसी सरकारी समारोह में दीप प्रज्वलन करने का भी ये विरोध कर चुके है .. इनके अनुसार दीप प्रज्वलन कर किसी कार्य का उद्घाटन करना धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है,जबकि रिबन काटकर उद्घाटन करने से देश में एकता आती है ..

मोदी जी की कहानी ; थोडा समय निकालकर अवश्य पढ़े... 1990 की घटना.. आसाम से दो सहेलियाँ रेल्वे में भर्ती हेतु गुजरात रवाना हुवे. रस्ते में एक स्टेशन पर गाडी बदल कर आगे का सफ़र उन्हें तय करना था। जिस प्रकार से ठहराया उसी प्रकार से सफ़र शुरू हुआ लेकिन पहली गाड़ी में कुछ लड़को ने उनसे छेड़-छाड़ की इस वजह से अगली गाड़ी में तो


ये भूल गए है की ये देश पहले भी हिन्दू राष्ट्र था और आज भी ये सेल्फ डिक्लेयर्ड हिन्दू नेशन है .
आज भी भारतीय संसद के मुख्यद्वार पर “धर्म चक्र प्रवार्ताय अंकित है,
राज्यसभा के मुख्यद्वार पर “सत्यं वद –धर्मम चर “अंकित है .....
भारतीय न्यायपालिका का घोष वाक्य है “धर्मो रक्षित रक्षितः “.
और सर्वोच्च न्यायलय का अधिकारिक वाक्य है “यतो धर्मो ततो जयः
“यानी जहाँ धर्म है वही जीत है ..
आज भी दूरदर्शन का लोगो .. सत्यम शिवम् सुन्दरम है ..
ये भूल गए हैं की आज भी सेना में किसी जहाज या हथियार टैंक का उद्घाटन नारियल फोड़ कर ही किया जाता है ..
ये भूल गए है की भारत की आर्थिक राजधानी में स्थित बोम्बे स्टोक एक्सचेंज में आज भी दिवाली के दिन लक्ष्मी गणेश की पूजा होती है .
ये कम्युनिस्ट भूल गए है की खुद के प्रदेश जहाँ कम्युनिस्टों का 34 साल शासन,रहा वो बंगाल वहां आज भी घर घर में दुर्गा पूजा होती है .
    जय हिन्द वन्देमातरम


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