2019 लोकसभा चुनाव
2019 के चुनाव अब लगभग 100 दिन बाद होने जा रहे हैं तो राजनैतिक स्थितियां भी साफ हो रही हैं।
1- UP में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने गठबंधन के बाद मायावती को PM के रूप में प्रोजेक्ट कर लिया है।
2- आज ममता बनर्जी ने भी एक रैली की घोषणा करके देश के प्रमुख विपक्षी नेताओं को आमंत्रित करके अपने को PM पद का प्रत्यशी होने का संकेत दे दिया है। इससे नाराज होकर मायावती रैली में नहीं गई
3- तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने ममता की रैली में कांग्रेस के बुलाये जाने से खफा होकर इस रैली का बहिस्कार कर दिया है।
4- मायावती ने इस रैली में खुद न जाकर संकेत दे दिया है की वे ही प्रधानमंत्री पद की बड़ी दावेदार हैं न कि ममता।
5- आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस द्वारा उसे भाव न देने की वजह से कांग्रेस को जम कर कोसा है.वह पार्टी जिसे दिल्ली के चुनावों में 70 में से 67 सीट मिली थी आज वह कांग्रेस,जिसे शून्य सीट मिली थी उससे सहयोग मांग रही है।
6- विपक्ष के सबसे ईमानदार नेता नवीन पटनायक कहीं भी विपक्ष के आसपास फटकते नजर नहीं दिखाई दे रहे हैं,दूसरे सबसे ईमानदार नेता नितीश बाबू भी विपक्ष के साथ न होकर बीजेपी के साथ ही खड़े हैं.
7- तेलंगाना में दोनों विपक्षी नेता चन्द्रा बाबू नायडू और चंद्र शेखर राव एक दूसरे के खिलाफ हैं,जहाँ नायडू महागठबंधन के पक्षधर हैं वहीँ राव थर्ड फ्रंट की संभावनाएं तलाश कर रहे हैं।
8- आंध्र के नेता जगनमोहन कहाँ पर हैं यह पता नहीं चल रहा है। कभी उधर तो कभी इधर
9- महाराष्ट्र में शिवसेना पक्ष में है या विपक्ष में यह खुद उसे पता नहीं है,शायद वह किसी फोर्थ फ्रंट की तलाश में है। महाराष्ट्र में शिवसेना अब समाप्त सेना बन चुकी है यदि बीजेपी महाराष्ट्र में अकेले लड़ती है तो बीजेपी को बंपर फायदा होगा
अब एग्जिट पोल की बात करें —-
*उप में जितनी भी मुस्लिम बहुल संसदीय सीटें हैं वह गठबंधन के पक्ष में जाएगी,यहाँ बीजेपी को लगभग 20 सीटों का नुकसान होगा।
*उत्तरप्रदेश को छोड़कर उत्तर और पश्चिमी भारत में बीजेपी की स्थिति कमोबेश वही रहेगी जो 2014 के चुनावों में थी,एकाध सीट कम या ज्यादा हो सकती है,दिल्ली में उसे पुनः सात की सात मिलेंगी क्यूंकि AAP और कांग्रेस विपक्षी वोटों को काटेंगे।
*अगर महाराष्ट्र में शिवसेना बीजेपी के साथ मिलकर लाडे या अलग लड़े तब भी फायदा बीजेपी को ही होगा,कोई कुछ भी कहे महाराष्ट्र के CM फडणवीस देश के योग्यतम CM में एक हैं।
*तमिलनाडु में अगर बीजेपी को अच्छा साथ मिला तो वह अपनी सीटों में वृद्धि कर सकती है या कोई अलायन्स उसे मजबूती प्रदान कर सकता है।
*केरल में निश्चित रूप से बीजेपी अपना बेहतर प्रदर्शन करेगी।
*कर्णाटक में बीजेपी फायदे में रहेगी,जिस तरह कुमारस्वामी हर चौथे पांचवें दिन आंसू भाते रहते हैं वह जनता की नजरों में रहेगा।
*सबसे ज्यादा आष्चर्यजनक परिणाम बंगाल से होंगे यहाँ बीजेपी अभूतपूर्व प्रदर्शन करेगी,यहाँ TMC और बीजेपी में ही टक्कर होगी।
*कांग्रेस का गढ़ NE उसके हाथ से निकल जायेगा और बीजेपी यहाँ अधिकांश सीटों पर कब्ज़ा करेगी।
*ओडिसा में लड़ाई सीधे बीजेपी और BJD के बीच होगी यहाँ कांग्रेस का अस्तित्व खत्म हो जायेगा।
**
सारांश — बीजेपी पिछले चुनाव के मुकाबले जो सीट उप्र में हारेगी उसकी पूर्ति वह ओडिसा,बंगाल,NE ,कर्णाटक आदि राज्यों से कर लेगी।
कांग्रेस कहीं भी लड़ाई में नजर नहीं आ रही है,हालिया तीन राज्यों के चुनाव भी उसको रहत नहीं देंगे जिसे लेकर वह और उसके पत्रकार बहुत प्रचार कर रहे है। एक बात सत्य है राज्यों के मुकाबले लोकसभा के चुनावों में मोदी के नाम पर 4 -5 %ज्यादा मत मिलते हैं,जो राज्यों की कमजोरी को छुपा सकते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने लगातार झूठ बोलकर अपनी साख बहुत गिरा दी है,देश में अब बच्चा तक उनको सीरियसली नहीं लेता है वे मनोरंजन का साधन हो सकते हैं लेकिन एक जिम्मेदार राजनीतिज्ञ नहीं। हालत यह हो गयी है कि कोई भी विपक्षी दल उन्हें सीट देने को तैयार नहीं है।
शायद 2019 कांग्रेस के लिए अंतिम चुनाव होगा।
कम्युनिष्टों को अपने दल की मान्यता बरकरार रखने में मुसीबत आएगी।
AAP लुप्त हो जाएगी। और अलकू कांग्रेस में भाग जाएगी
शिवसेना में से शिव बीजेपी के पास चले जायेंगे।
और हाँ अगर कांग्रेस और शिवपाल यादव यूपी में थोड़ी सी मेहनत करें तो उप्र का गठबंधन 20 सीटों तक सिमट सकता है।
यानी 2019 में मोदी भव्य विजय से सत्ता में वापसी करेंगे
2019 के चुनाव अब लगभग 100 दिन बाद होने जा रहे हैं तो राजनैतिक स्थितियां भी साफ हो रही हैं।
1- UP में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने गठबंधन के बाद मायावती को PM के रूप में प्रोजेक्ट कर लिया है।
2- आज ममता बनर्जी ने भी एक रैली की घोषणा करके देश के प्रमुख विपक्षी नेताओं को आमंत्रित करके अपने को PM पद का प्रत्यशी होने का संकेत दे दिया है। इससे नाराज होकर मायावती रैली में नहीं गई
3- तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने ममता की रैली में कांग्रेस के बुलाये जाने से खफा होकर इस रैली का बहिस्कार कर दिया है।
4- मायावती ने इस रैली में खुद न जाकर संकेत दे दिया है की वे ही प्रधानमंत्री पद की बड़ी दावेदार हैं न कि ममता।
5- आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस द्वारा उसे भाव न देने की वजह से कांग्रेस को जम कर कोसा है.वह पार्टी जिसे दिल्ली के चुनावों में 70 में से 67 सीट मिली थी आज वह कांग्रेस,जिसे शून्य सीट मिली थी उससे सहयोग मांग रही है।
6- विपक्ष के सबसे ईमानदार नेता नवीन पटनायक कहीं भी विपक्ष के आसपास फटकते नजर नहीं दिखाई दे रहे हैं,दूसरे सबसे ईमानदार नेता नितीश बाबू भी विपक्ष के साथ न होकर बीजेपी के साथ ही खड़े हैं.
7- तेलंगाना में दोनों विपक्षी नेता चन्द्रा बाबू नायडू और चंद्र शेखर राव एक दूसरे के खिलाफ हैं,जहाँ नायडू महागठबंधन के पक्षधर हैं वहीँ राव थर्ड फ्रंट की संभावनाएं तलाश कर रहे हैं।
8- आंध्र के नेता जगनमोहन कहाँ पर हैं यह पता नहीं चल रहा है। कभी उधर तो कभी इधर
9- महाराष्ट्र में शिवसेना पक्ष में है या विपक्ष में यह खुद उसे पता नहीं है,शायद वह किसी फोर्थ फ्रंट की तलाश में है। महाराष्ट्र में शिवसेना अब समाप्त सेना बन चुकी है यदि बीजेपी महाराष्ट्र में अकेले लड़ती है तो बीजेपी को बंपर फायदा होगा
अब एग्जिट पोल की बात करें —-
*उप में जितनी भी मुस्लिम बहुल संसदीय सीटें हैं वह गठबंधन के पक्ष में जाएगी,यहाँ बीजेपी को लगभग 20 सीटों का नुकसान होगा।
*उत्तरप्रदेश को छोड़कर उत्तर और पश्चिमी भारत में बीजेपी की स्थिति कमोबेश वही रहेगी जो 2014 के चुनावों में थी,एकाध सीट कम या ज्यादा हो सकती है,दिल्ली में उसे पुनः सात की सात मिलेंगी क्यूंकि AAP और कांग्रेस विपक्षी वोटों को काटेंगे।
*अगर महाराष्ट्र में शिवसेना बीजेपी के साथ मिलकर लाडे या अलग लड़े तब भी फायदा बीजेपी को ही होगा,कोई कुछ भी कहे महाराष्ट्र के CM फडणवीस देश के योग्यतम CM में एक हैं।
*तमिलनाडु में अगर बीजेपी को अच्छा साथ मिला तो वह अपनी सीटों में वृद्धि कर सकती है या कोई अलायन्स उसे मजबूती प्रदान कर सकता है।
*केरल में निश्चित रूप से बीजेपी अपना बेहतर प्रदर्शन करेगी।
*कर्णाटक में बीजेपी फायदे में रहेगी,जिस तरह कुमारस्वामी हर चौथे पांचवें दिन आंसू भाते रहते हैं वह जनता की नजरों में रहेगा।
*सबसे ज्यादा आष्चर्यजनक परिणाम बंगाल से होंगे यहाँ बीजेपी अभूतपूर्व प्रदर्शन करेगी,यहाँ TMC और बीजेपी में ही टक्कर होगी।
*कांग्रेस का गढ़ NE उसके हाथ से निकल जायेगा और बीजेपी यहाँ अधिकांश सीटों पर कब्ज़ा करेगी।
*ओडिसा में लड़ाई सीधे बीजेपी और BJD के बीच होगी यहाँ कांग्रेस का अस्तित्व खत्म हो जायेगा।
**
सारांश — बीजेपी पिछले चुनाव के मुकाबले जो सीट उप्र में हारेगी उसकी पूर्ति वह ओडिसा,बंगाल,NE ,कर्णाटक आदि राज्यों से कर लेगी।
कांग्रेस कहीं भी लड़ाई में नजर नहीं आ रही है,हालिया तीन राज्यों के चुनाव भी उसको रहत नहीं देंगे जिसे लेकर वह और उसके पत्रकार बहुत प्रचार कर रहे है। एक बात सत्य है राज्यों के मुकाबले लोकसभा के चुनावों में मोदी के नाम पर 4 -5 %ज्यादा मत मिलते हैं,जो राज्यों की कमजोरी को छुपा सकते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने लगातार झूठ बोलकर अपनी साख बहुत गिरा दी है,देश में अब बच्चा तक उनको सीरियसली नहीं लेता है वे मनोरंजन का साधन हो सकते हैं लेकिन एक जिम्मेदार राजनीतिज्ञ नहीं। हालत यह हो गयी है कि कोई भी विपक्षी दल उन्हें सीट देने को तैयार नहीं है।
शायद 2019 कांग्रेस के लिए अंतिम चुनाव होगा।
कम्युनिष्टों को अपने दल की मान्यता बरकरार रखने में मुसीबत आएगी।
AAP लुप्त हो जाएगी। और अलकू कांग्रेस में भाग जाएगी
शिवसेना में से शिव बीजेपी के पास चले जायेंगे।
और हाँ अगर कांग्रेस और शिवपाल यादव यूपी में थोड़ी सी मेहनत करें तो उप्र का गठबंधन 20 सीटों तक सिमट सकता है।
यानी 2019 में मोदी भव्य विजय से सत्ता में वापसी करेंगे