हे मान्यवर ,
इसको पढ़ ले फिर टिपण्णी करे उसको बाद भी ज्ञानार्जन की आवशयक्ता हो तो बताये.....
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के विदेश यात्राओ का सच <<==
28 साल बाद कोई भारत का प्रधान मंत्री श्री लंका गया, नेपाल में कोई भारत का प्रधान मंत्री 17 साल बाद गया, ऑस्ट्रेलिया 28 साल बाद, Seychelles 34 साल बाद, Fiji 33 वर्ष, म्यांमार 25 वर्ष …… दिल्ली के लुटियन जोन वाले घोटाले, आरक्षण, लूट-खसोट, जीरो लॉस, दलाली, तुष्टिकरण में व्यस्त थे तब चीन अलग ही काम में व्यस्त था - वो था String of Pearls (Indian Ocean) Strategy. इसके तहत चीन ने बांग्ला देश के चित्तगोंग में एक बड़ा नवल यार्ड बनाने के बाद श्री लंका के हम्बनबोटा में 20 अरब डॉलर का कमर्शियल शिपिंग सेंटर बनाया।
उसके बाद पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को बनायi.... इस पोर्ट का असल सामरिक और व्यापारिक अधिपत्य चीन के पास है। ....... anti - piracy के बहाने से अपनी मज़बूत स्थिति बनाई। चीन के चक्रव्यूह को देखते हुवे।
अब इस नयी सरकार ने इस दिशा में कदम उठाया है … और "सागरमाला" नामक रणनीति पर काम शुरू कर दिया है... नेपाल में बिजली कारखाना, सड़क और बुनियादी सुविधाओं के लिए मदद एक सफल कोशिश की नेपाल चीन के तरफ फिर न जाए (नेपाली माओवादी पहले ये कर चुके है), उसके बाद म्यांमार, फिजी यात्रा भारत को चीन के करीब बेस बनाने का स्थान पाने का सफल कोशिश, वियतनाम को स्वदेशी पोत - जिससे अब दक्षिणी चीन सागर में न सिर्फ भारत की सामरिक शक्ति का एहसास हुवा हैं बल्कि ONGC जैसे भारतीय कंपनी को तेल शोधन के लिए सारे जरूरी सहयोग भी मिल रहा है।
अब Seychelles, मारीशियस और श्री लंका की यात्रा से भारत को बहुत बड़ा strategic फायदा मिल रहा है, भारत Seychelles में रडार लगाएगा, कण्ट्रोल मारीशियस से होगा, भारत का टोही एयर बेस भी बन जाएगा जिससे चीन की उसके String of Pearls (Indian Ocean) Strategy की सारी जानकारी भारत को उपलब्ध रहेगी ...... चीन की शतरंजी चलों के जवाब में मोदी जी ने शाह मात का खेल चालू कर दिया है।
आने वाले दिनों में PM मोदी की यात्रा मेरे अनुमान के अनुसार मोज़ाम्बीक, ज़िम्बाब्वे, दक्षिणी अफ्रीका, ओमान के अलावा इंडोनेशिया, फ़िलीपीन्स और विएतनाम होंगे.....
बेबकूफी की हद है .....
आज देश जिस हालात में है मोदी उस संकट को उबारने में दिन रात लगे हुए हैं लेकिन कुछ लोग व्यंग के नाम पर बेबकूफी दिखा रहे हैं ।
कुछ लाईक शेयर के लिए विदेशनीति का मजाक उड़ाया जा रहा है । क्या फर्क है अब मीडिया में और इन लोगो में? प्रधानमन्त्री अब चीन दौरे पर हैं ।
उस चीन के जो एशिया में भारत के सामने हमेशा मुसीबत बन कर खड़ा होता है । स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ नाम की चीन की एक ऐसी चाल जिसके जरिये भारत पर चीन कब्ज़ा करना चाहता है ।
यह एक ऐसी चाल है जिसके जरिये चीन भारत की सीमाओं पर बसे देशो से अच्छे सम्बन्ध बना कर उनके यहाँ बन्दरगाह ले रहा है । चीन कहता है इसका प्रयोग वो व्यापार के लिए करेगा पर इतिहास गवाह है चीन अपने व्यापार को मिलेट्री-सहायता देने में गुरेज नहीं करता है—जैसा कि हर देश को करना चाहिए ।
15वीं सदी के शुरुआत में जब चीन के मिंग-राजवंश ने अपना समुद्री-काफिला व्यापार करने के लिए दुनियाभर में भेजा था तो उसके साथ पूरे 72 युद्धपोत भेजे थे, ताकि उन्हे समुद्री-डकैतों और विरोधी देशों की नौसेनाओं से मुकाबला किया जा सके ।
'स्ट्रिंग ऑफ़ पलर्स' के तहत चीन ने पाकिस्तान में ग्वादर, श्रीलंका में हम्बनटोटा, बर्मा में कोको द्विप, दक्षिण चीन सागर में हेनान दीप आदि पर कब्ज़ा करता चला जा रहा है । चीन की इस चाल का खुलासा अमेरिका ने 2005 में ही कर दिया था क्यूकि दक्षिण चीन सागर से बन रहे है इस जाल का अंत अमेरिका को घेरने तक का है लेकिन भारत सरकार सोती रही ।
भारत ने इस पर ध्यान 2011 में दिया और तब तक हम घिर चुके थे । इस मामले में बड़ी बेबकूफी हमारी पूर्व सरकारों की रही है जिन्होंने कभी पड़ोसियों को अपना नही बनाया और आज आप मोदी के बारे में इसीलिए सुन रहे हैं कि भारत का कोई प्रधानमन्त्री इतने साल बाद नेपाल गए, इतने साल बाद जापान गए, इतने साल बाद मोरोशिस गए ।
मित्रो हमारे पड़ोसी देशो को पूर्व सरकारों ने कोई अहमियत नही दी जिसका फायदा चीन ने उठाया और हालात आपके सामने हैं । यह कहानी बहुत बड़ी और संकट लिए है जिसे बहुत आसान शब्दों में आपको बता रहा हूँ ।
अब आप खुद समझ जाइये कि मोदी क्यू फ्रांस से 136 फाइटर प्लेन खरीद रहे हैं । इजरायल से क्यू लाखो के हथियार खरीदें जा रहे हैं । क्यू सभी पडोसियों से रिश्ते अच्छे बनाये जा रहे हैं ।
पिछले एक साल का कार्यकाल पर आप गौर करें तो मोदी का ध्यान अभी विदेशनीति, देश की सुरक्षा पर ही है । ....वन्देमातरम ...जय माँ भारती ......
इसको पढ़ ले फिर टिपण्णी करे उसको बाद भी ज्ञानार्जन की आवशयक्ता हो तो बताये.....
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के विदेश यात्राओ का सच <<==
28 साल बाद कोई भारत का प्रधान मंत्री श्री लंका गया, नेपाल में कोई भारत का प्रधान मंत्री 17 साल बाद गया, ऑस्ट्रेलिया 28 साल बाद, Seychelles 34 साल बाद, Fiji 33 वर्ष, म्यांमार 25 वर्ष …… दिल्ली के लुटियन जोन वाले घोटाले, आरक्षण, लूट-खसोट, जीरो लॉस, दलाली, तुष्टिकरण में व्यस्त थे तब चीन अलग ही काम में व्यस्त था - वो था String of Pearls (Indian Ocean) Strategy. इसके तहत चीन ने बांग्ला देश के चित्तगोंग में एक बड़ा नवल यार्ड बनाने के बाद श्री लंका के हम्बनबोटा में 20 अरब डॉलर का कमर्शियल शिपिंग सेंटर बनाया।
उसके बाद पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को बनायi.... इस पोर्ट का असल सामरिक और व्यापारिक अधिपत्य चीन के पास है। ....... anti - piracy के बहाने से अपनी मज़बूत स्थिति बनाई। चीन के चक्रव्यूह को देखते हुवे।
अब इस नयी सरकार ने इस दिशा में कदम उठाया है … और "सागरमाला" नामक रणनीति पर काम शुरू कर दिया है... नेपाल में बिजली कारखाना, सड़क और बुनियादी सुविधाओं के लिए मदद एक सफल कोशिश की नेपाल चीन के तरफ फिर न जाए (नेपाली माओवादी पहले ये कर चुके है), उसके बाद म्यांमार, फिजी यात्रा भारत को चीन के करीब बेस बनाने का स्थान पाने का सफल कोशिश, वियतनाम को स्वदेशी पोत - जिससे अब दक्षिणी चीन सागर में न सिर्फ भारत की सामरिक शक्ति का एहसास हुवा हैं बल्कि ONGC जैसे भारतीय कंपनी को तेल शोधन के लिए सारे जरूरी सहयोग भी मिल रहा है।
अब Seychelles, मारीशियस और श्री लंका की यात्रा से भारत को बहुत बड़ा strategic फायदा मिल रहा है, भारत Seychelles में रडार लगाएगा, कण्ट्रोल मारीशियस से होगा, भारत का टोही एयर बेस भी बन जाएगा जिससे चीन की उसके String of Pearls (Indian Ocean) Strategy की सारी जानकारी भारत को उपलब्ध रहेगी ...... चीन की शतरंजी चलों के जवाब में मोदी जी ने शाह मात का खेल चालू कर दिया है।
आने वाले दिनों में PM मोदी की यात्रा मेरे अनुमान के अनुसार मोज़ाम्बीक, ज़िम्बाब्वे, दक्षिणी अफ्रीका, ओमान के अलावा इंडोनेशिया, फ़िलीपीन्स और विएतनाम होंगे.....
बेबकूफी की हद है .....
आज देश जिस हालात में है मोदी उस संकट को उबारने में दिन रात लगे हुए हैं लेकिन कुछ लोग व्यंग के नाम पर बेबकूफी दिखा रहे हैं ।
कुछ लाईक शेयर के लिए विदेशनीति का मजाक उड़ाया जा रहा है । क्या फर्क है अब मीडिया में और इन लोगो में? प्रधानमन्त्री अब चीन दौरे पर हैं ।
उस चीन के जो एशिया में भारत के सामने हमेशा मुसीबत बन कर खड़ा होता है । स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ नाम की चीन की एक ऐसी चाल जिसके जरिये भारत पर चीन कब्ज़ा करना चाहता है ।
यह एक ऐसी चाल है जिसके जरिये चीन भारत की सीमाओं पर बसे देशो से अच्छे सम्बन्ध बना कर उनके यहाँ बन्दरगाह ले रहा है । चीन कहता है इसका प्रयोग वो व्यापार के लिए करेगा पर इतिहास गवाह है चीन अपने व्यापार को मिलेट्री-सहायता देने में गुरेज नहीं करता है—जैसा कि हर देश को करना चाहिए ।
15वीं सदी के शुरुआत में जब चीन के मिंग-राजवंश ने अपना समुद्री-काफिला व्यापार करने के लिए दुनियाभर में भेजा था तो उसके साथ पूरे 72 युद्धपोत भेजे थे, ताकि उन्हे समुद्री-डकैतों और विरोधी देशों की नौसेनाओं से मुकाबला किया जा सके ।
'स्ट्रिंग ऑफ़ पलर्स' के तहत चीन ने पाकिस्तान में ग्वादर, श्रीलंका में हम्बनटोटा, बर्मा में कोको द्विप, दक्षिण चीन सागर में हेनान दीप आदि पर कब्ज़ा करता चला जा रहा है । चीन की इस चाल का खुलासा अमेरिका ने 2005 में ही कर दिया था क्यूकि दक्षिण चीन सागर से बन रहे है इस जाल का अंत अमेरिका को घेरने तक का है लेकिन भारत सरकार सोती रही ।
भारत ने इस पर ध्यान 2011 में दिया और तब तक हम घिर चुके थे । इस मामले में बड़ी बेबकूफी हमारी पूर्व सरकारों की रही है जिन्होंने कभी पड़ोसियों को अपना नही बनाया और आज आप मोदी के बारे में इसीलिए सुन रहे हैं कि भारत का कोई प्रधानमन्त्री इतने साल बाद नेपाल गए, इतने साल बाद जापान गए, इतने साल बाद मोरोशिस गए ।
मित्रो हमारे पड़ोसी देशो को पूर्व सरकारों ने कोई अहमियत नही दी जिसका फायदा चीन ने उठाया और हालात आपके सामने हैं । यह कहानी बहुत बड़ी और संकट लिए है जिसे बहुत आसान शब्दों में आपको बता रहा हूँ ।
अब आप खुद समझ जाइये कि मोदी क्यू फ्रांस से 136 फाइटर प्लेन खरीद रहे हैं । इजरायल से क्यू लाखो के हथियार खरीदें जा रहे हैं । क्यू सभी पडोसियों से रिश्ते अच्छे बनाये जा रहे हैं ।
पिछले एक साल का कार्यकाल पर आप गौर करें तो मोदी का ध्यान अभी विदेशनीति, देश की सुरक्षा पर ही है । ....वन्देमातरम ...जय माँ भारती ......
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