कोरोना मरीजों की सबसे अधिक संख्या महाराष्ट्र में है, पर दीदी को मास्क यूपी में बांटने हैं।
बिजली राजस्थान में ज्यादा महंगी है, पर दीदी को बिजली के बिल यूपी के माफ करवाने हैं।
मजदूर पलायन मुम्बई, नासिक, नागपुर, जयपुर, अमृतसर, जोधपुर आदि स्थानों से कर रहे हैं, पर दीदी उन्हें बस यूपी बॉर्डर पर ही उपलब्ध करवाएंगी।
पलायन करने वाले मजदूरों में बड़ी संख्या झारखंड और छत्तीसगढ़ की है, और दोनों ही राज्य सरकारों को मजदूरों की कोई चिंता नही है, पर दीदी को चिंता केवल यूपी के मजदूरों की है, जिन्हें 500 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से लाया गया और 16000 बसों से गाँव तक भेजा जा रहा है।
मजदूर पलायन पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र से सबसे अधिक कर रहे हैं पर भैया को मुलाकात हरियाणा से आ रहे मजदूरों से ही करनी है।
लॉकडाउन के नियमों की धज्जियां मुंबई में उड़ाई जा रही हैं, पर दीदी को सवाल केवल यूपी पर पूछना है।
देश मे कोरोना विस्फोट तब्लीकी जमात से हुआ पर भैया को केंद्र सरकार को ही दोषी ठहराना है।
कोटा से बच्चों को छोड़ने आयी बसों का भी किराया ले लिया, पर दीदी को गरीबों और परेशान हो रहे लोगों का मसीहा बनने का नाटक भी करना है।
कभी बोलते हैं लॉकडाउन देर में लगाया और कभी बोलते हैं लॉकडाउन जल्दी में लगा दिया, ऐसे कंफ्यूज पैदा हुए भैया को राजनीति भी करनी है।
कहिए कुछ भी, पर यह दीदी-भैया ने मिलकर यह साबित कर दिया कि यह लोग आम जनता से कोई हमदर्दी नही रखते हैं, बस इनको राजनीतिक रोटियां सेंकने से मतलब है।
बिजली राजस्थान में ज्यादा महंगी है, पर दीदी को बिजली के बिल यूपी के माफ करवाने हैं।
मजदूर पलायन मुम्बई, नासिक, नागपुर, जयपुर, अमृतसर, जोधपुर आदि स्थानों से कर रहे हैं, पर दीदी उन्हें बस यूपी बॉर्डर पर ही उपलब्ध करवाएंगी।
पलायन करने वाले मजदूरों में बड़ी संख्या झारखंड और छत्तीसगढ़ की है, और दोनों ही राज्य सरकारों को मजदूरों की कोई चिंता नही है, पर दीदी को चिंता केवल यूपी के मजदूरों की है, जिन्हें 500 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से लाया गया और 16000 बसों से गाँव तक भेजा जा रहा है।
मजदूर पलायन पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र से सबसे अधिक कर रहे हैं पर भैया को मुलाकात हरियाणा से आ रहे मजदूरों से ही करनी है।
लॉकडाउन के नियमों की धज्जियां मुंबई में उड़ाई जा रही हैं, पर दीदी को सवाल केवल यूपी पर पूछना है।
देश मे कोरोना विस्फोट तब्लीकी जमात से हुआ पर भैया को केंद्र सरकार को ही दोषी ठहराना है।
कोटा से बच्चों को छोड़ने आयी बसों का भी किराया ले लिया, पर दीदी को गरीबों और परेशान हो रहे लोगों का मसीहा बनने का नाटक भी करना है।
कभी बोलते हैं लॉकडाउन देर में लगाया और कभी बोलते हैं लॉकडाउन जल्दी में लगा दिया, ऐसे कंफ्यूज पैदा हुए भैया को राजनीति भी करनी है।
कहिए कुछ भी, पर यह दीदी-भैया ने मिलकर यह साबित कर दिया कि यह लोग आम जनता से कोई हमदर्दी नही रखते हैं, बस इनको राजनीतिक रोटियां सेंकने से मतलब है।
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