आजकल चमचें और कांग्रेसी बड़े जोर शोर से चिल्ला रहे हैं कि अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर निर्माण राजीव गांधी का सपना था जो अब पूरा हुआ है, और प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी ने ही 1986 में मंदिर का ताला खुलवाया था।
यह बात अयोध्या मामले का सबसे बड़ा झूठ है, जो हर कांग्रेसी रोज बोलता है।
मंदिर का ताला फैज़ाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज कृष्णमोहन पांडेय जी ने खोलने का आदेश दिया था, और उन्ही के आदेश पर ताला खोला गया था।
जिसकी सजा उनका प्रोमोशन रोककर उन्हें दी गयी, प्रोमोशन रोकने वाले मुख्यमंत्री कोई और नही बल्कि मुलायम सिंह यादव ही थे।
वरिष्ठताक्रम को देखते हुए उन्हें हाई कोर्ट जज नियुक्त करने की सिफारिश हुई थी, लेकिन, 1988 से लेकर जनवरी 1991 तक उनका प्रमोशन नहीं हुआ। 13 सितंबर, 1990 को विश्व हिंदू परिषद (VHP) अधिवक्ता संघ की ओर से महासचिव हरिशंकर जैन ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की और जस्टिस पांडेय के हाई कोर्ट में प्रमोशन का आदेश मांगा।
उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव ने फाइल पर एक नोट लिख कर जस्टिस पांडेय को हाई कोर्ट जज बनाने पर आपत्ति की थी। यही नहीं, मुलायम सिंह ने इसकी सिफारिश करने से भी इन्कार कर दिया था।
उस समय केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी। याचिका के अनुसार, कई बार जस्टिस पांडेय की उच्च न्यायालय प्रमोशन की सिफारिश हुई, लेकिन उनका नाम लटका रहा। यह याचिका लंबित थी कि तभी केंद्र में सरकार बदल गई। चंद्रशेखर की सरकार आई, जिसमें सुब्रह्मण्यम स्वामी कानून मंत्री बने। स्वामी ने जस्टिस पांडेय को इलाहाबाद हाई कोर्ट का जज नियुक्त करने को मंजूरी दी।
इसके बाद 24 जनवरी, 1991 को जस्टिस पांडेय इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज बने। एक महीने के अंदर उनका मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया। वहां 4 साल रहने के बाद 28 मार्च, 1994 को वे रिटायर हुए।
अब तो समझ आ गया न कि राजीव गांधी ने मंदिर का ताला नही खुलवाया और आज की सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने जस्टिस पांडेय का प्रोमोशन इसलिए रुकवाया था क्योंकि उन्होंने मंदिर का ताला खोलने की अनुमति दी थी।
आगे से कांग्रेसियों और सपाईयों को मुँह पर सबूत सहित यह बात देकर मारना..!!
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